रवींद्रनाथ टैगोर से शर्मीला टैगोर का नहीं, मीना कुमारी का रक्त संबंध था

शर्मीला टैगोर के वंश परम्परा की बात चलती है तो तपाक से उनको रवींद्रनाथ टैगोर की परपोती घोषित कर दिया जाता है। यही नहीं उनके पिता के साथ साथ उनकी माता का भी संबंध कवीन्द्र रवीन्द्र से जोड़ा जाता रहा है, जो असमी बंगाली परिवार से आती थीं। लेकिन, यह सब ऐसी असत्य, तथ्यविहीन बात है जो प्रचार की तरह फैला है और सत्य को ही नेपथ्य में धकेल दिया है। इससे शर्मीला टैगोर के मायके को अतिरिक्त सम्मान मिलता है, सो अच्छा लगता है। लेकिन, सत्य यह नहीं, कुछ और है। इसका खुलासा टेलीग्राफ ने किया था। लगभग तीन दशक पहले जब मैं कलकत्ता घूम रहा था, तभी पढ़ने को मिला। वर्षों बाद टाइम्स ऑफ इंडिया के रविवारीय परिशिष्ट में स्पष्ट लिखा था कि शर्मीला टैगोर का रवींद्रनाथ से प्रत्यक्ष रक्त संबंध नहीं है। शर्मीला की नानी और रवीन्द्रनाथ की मामी आपस में ममेरी फुफेरी बहन लगती थीं, वह भी पड़ोस की। अब यह भी कोई संबंध हुआ ?



आज मीना कुमारी की ४८वीं पुण्यतिथि है, इसलिए उन्हें स्मरण करते करते ध्यान आया, थोड़ा लाल बुझक्कड़ का ज्ञान आपको भी शेयर कर दूँ। मीना कुमारी की नानी बंगाली ब्राह्मण थीं, रवींद्रनाथ टैगोर के अनुज की बेटी, नाम था हेम सुंदरी टैगोर। हेम सुंदरी का ब्याह कम उम्र में हुआ, पति की अकाल मृत्यु हो जाने के बाद ससुराल में वह मनहूस मानी जाने लगीं और अंततः उन्हें घर त्यागना पड़ गया। वह मेरठ आ गयीं। वहां उसने जीवन यापन के लिए नर्सिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया और एक प्रायवेट अस्पताल में नर्स बन गयीं। यहीं पर एक स्थानीय शायर प्यारे लाल 'शाक़िर' टकरा गये। लोभ में अभी अभी ईसाई बने थे, जॉनी लीवर प्रजाति के थे, धर्मांतरण के दलाल थे। हेम नाम से ही नहीं, वास्तव में एक सुंदरी थी, वैधव्य और नर्सों वाली दोनों सादगी सचमुच मनमोहक होती थी। शायर शाक़िर अपनी बीमारियों को उकसाने लगे, बेवजह अस्पताल जाने लगे। प्यारे लाल पर भला संदेह कौन करता कि वह क्रिश्चियन है, शाक़िर तो शायरी में लिखते, बोलते थे। एकाकी जीवन से थकी, व्यथित हेम सुंदरी ने प्यारे लाल का विवाह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। बस, समझाते बुझाते, डराते धमकाते बना दिया ईसाई। दलाली मिल गई। लेकिन, अभी तो और लोगों को फांसने थे, नाम अंग्रेजी नहीं, हिन्दी/हिन्दू ही रखा।
अब मध्यांतर के बाद की फिल्म देखिए। हेम सुन्दरी की दूसरी बेटी प्रभावती भी एक दूसरे शायर अली बक्श के जाल में फंस गई। यह पंजाब (अभी पीओके क्षेत्र) से आये थे। इस हजरत ने अपनी शायरी, म्यूजिक, एक्टिंग के जाल में जकड़ लिया और पत्नी बनाने से पहले प्रभावती को इक़बाल बेगम बनाया, फिर निकाह पढ़वाया।



[ मंसूर अली खान पटौदी ने भी शर्मीला टैगोर को बेगम आयशा सुल्तान खान बनाकर ही निकाह पढ़वाया था। ]


यही नहीं, शादी के बाद जो ऐसे लोगों का चरित्र होता है, उजागर हुआ, प्रभावती प्रभावहीना होकर क़ैद हो गई। कामिनी बन कर मंच पर सक्रिय थी, वह भी बंद ! इसी इक़बाल की दूसरे नंबर की बेटी थी मेहजबीन/मेहजबीं उर्फ मीना कुमारी। बड़ी खुर्शीद जूनियर थी और दूसरी का नाम माहलिक़ा उर्फ मधु था, जो हास्य अभिनेता महमूद की पहली बीवी और सिंगर एक्टर लकी अली की माँ थींं।
★ उमेश सिंह चंदेल