डीवाई पाटिल स्कूल ऑफ बायो टेक्नोलॉजी एंड बायोइनफॉर्मेटिक्स के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के आयोजन में लाइफ कोच, योगी और रहस्यवादी विवेक शेट्टी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति थे। डीवाई पाटिल स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड बायोइनफॉर्मेटिक्स का नेतृत्व डॉक्टर देबजानी दासगुप्ता कर रहे हैं जो बहुत ही उद्यमशील और गतिशील व्यक्तित्व के धनी है। इस वर्ष के समारोह की थीम आर्ट-अ-टेक थी जिसका मकसद कला व तकनीकी को एक साथ लाना था। अपने वक्तव्य में विवेक शेट्टी ने मनुष्य के जीवन पर पड़ने वाले कला के सुंदर प्रभावों को रेखांकित किया। विवेक शेट्टी ने कला की तलाश को एक बहुत दिलचस्प और आकर्षक यात्रा बताते हुए कहा कि कला जीवन के वस्तुपरक आयाम से विषयपरक आयाम तक की यात्रा है।
यह यात्रा हमें जीवन के और अधिक सूक्ष्म तथा गहरे अनुभवों की बेहतर समझ देती है। हमारा पूरा जीवन चेतना के बहुत बड़े कैनवास पर ब्रश का एक स्ट्रोक है। उन्होंने दिवंगत दृष्टिहीन कवि मिल्टन के जीवन का उदाहरण दिया। दृष्टिहीनता ने कवि के जीवन में विषयगत आयामों के बहुत गहरे पहलुओं की तलाश की, जिसके परिणाम स्वरूप कवि मिल्टन की सबसे बेहतरीन काव्य कृतियां दुनिया के सामने आ सकीं। उन्होंने आगे कहा कि कला हमारी कल्पना को हर संभावित विस्तार देती है और कल्पनाशीलता ही हमारी मेधा की सच्ची निशानी है।
संगीत पर अपनी राय जाहिर करते हुए विवेक शेट्टी ने कहा कि इस पृथ्वी पर हर जीवित व्यक्ति के भीतर एक स्पंदन होता है। अगर हमारे भीतर की आवाज और हमारे बाहर की ध्वनि में हम एक तालमेल बना सकें तो इस बात की बहुत संभावना होती है कि हमारा पूरा अस्तित्व खुशी और विपुलता से सराबोर होगा। उन्होंने प्राचीन भारतीय मंत्रों और संगीत में निदान की शक्ति के बीच एक पेचीदा संबंध पर दृष्टि डाली। उन्होंने कहा कि हमारी भीतर की ऊर्जा तभी अभिव्यक्ति पाती है जब हम कला के रूपों को जीते हैं। उन्होंने कहा कि कला की उपेक्षा कर महज अर्थ के पीछे भागने से सिर्फ और सिर्फ निराशा पैदा होती है। इसका उदाहरण वह पौधा है जो फूल और फल दोनों धारण कर सकता है, लेकिन उसे केवल फल के लिए बाध्य किया जाए तो उसकी दशा निराशाजनक होगी। दुर्भाग्य से इस पौधे की जड़ निराशा में डूब जाएगी और इस पर फूल नहीं आएंगे।
उन्होंने लाइफ कोच के रूप में अपने एक अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि संगीत और लेखन का अभ्यास करा कर एक छात्र को उन्होंने अवसाद की दशा से बाहर निकाला। विवेक शेट्टी ने कहा कि एक स्वस्थ मस्तिष्क को सिर्फ और सिर्फ एक स्वस्थ मस्तिष्क की जरूरत होती है, गोलियों की नहीं। स्वस्थ मस्तिष्क के विकास में कला की बहुत बड़ा भूमिका होती है। उन्होंने श्रोताओं का आह्वान किया कि वे अपने जीवन में कला के किसी रूप को जरूर जगह दें, अपनाएं वरना वह जीवन के एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्से से वंचित हो जाएंगे।
डॉक्टर देबजानी दासगुप्ता ने स्वागत भाषण दिया। छात्र-छात्राओं ने कार्यक्रम में नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। पूरे कार्यक्रम के दौरान गजब की ऊर्जा का संचार रहा।